Diode: एक विश्लेषण और प्रकार

डायोड एक प्रकार का सेमीकंडक्टर डिवाइस है जो बिजलीय सर्किट में इस्तेमाल होता है। यह एक दो-धारी उपकरण होता है, जिसमें दो टर्मिनल होते हैं – एक एनोड और एक कैथोड। डायोड का मुख्य कार्य विधुत धारा को एकीकृत करना है, अर्थात् इसे एक ही दिशा में बहने देना।

जब प्रेरित विधुत धारा अनोड से कैथोड की दिशा में होती है, तो डायोड ऑन होती है और प्रवाहित धारा को पार करती है। जब प्रेरित धारा की दिशा उल्टी होती है, तो डायोड ऑफ होती है और धारा को रोकती है।

डायोड के प्रकार

डायोड के कई प्रकार होते हैं, जिनमें सीलेनियम और गरमास्थल डायोड (जीएसडी), लेजर डायोड (लेड), और जंक्शन डायोड (एडी) शामिल हैं। इन्हें विभिन्न विधुत परिस्थितियों में उपयोग किया जाता है, जैसे स्विचिंग, प्रतिरोध, और प्रकार्यों को अनुभव करने के लिए प्रेरित करना।

डायोड एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो केवल एक दिशा में प्रवाहित करंट की अनुमति देता है। यह प्रवाहित करंट केवल एक दिशा में ही बह सकता है, जो कैथोड से एनोड की दिशा में होता है। डायोड में दो प्रमुख प्रकार के इलेक्ट्रोड होते हैं – एनोड (Anode) और कैथोड (Cathode)। एनोड को सींची (positive) वोल्टेज और कैथोड को नकारात्मक (negative) वोल्टेज से जोड़ा जाता है। जब एनोड को सींची वोल्टेज और कैथोड को नकारात्मक वोल्टेज से जोड़ा जाता है, तो डायोड में प्रवाहित करंट बहने लगता है। इस प्रकार की प्रवृत्ति को फॉरवर्ड बायसिंग कहा जाता है।

डायोड का मुख्य उपयोग

डायोड का मुख्य उपयोग विभिन्न प्रकार के विधुत सरंक्षण कार्यों में होता है, जैसे कि रेक्टिफायर, सिग्नल लिमिटर, वोल्टेज रेगुलेटर, सिग्नल मॉड्यूलेटर, सिग्नल मिक्सर आदि। डायोड के प्रयोग से विभिन्न प्रकार की विधुत सरंक्षण कार्यों को संभव बनाया जाता है जिससे विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को सही तरीके से चलाया जा सकता है।

डायोड की परिभाषा

बिना जोड़ा गया किसी प्रकार के उन्मुखीकरण स्थिति या अवस्था के लिए, डायोड को एक इलेक्ट्रॉनिक यंत्र भाग के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो विद्युत धारा को एक ही दिशा में ही प्रवाहित करता है और इसे विपरीत दिशा में बहने से रोकता है। यह उपकरण इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्स में विभिन्न कार्यों के लिए प्रयुक्त किया जाता है, जैसे कि डीजी विशेषण, प्रतिरोध, अवरोध, और स्थिति उपयोग।

डायोड एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो बिजली की धारा को एक दिशा में ही बहने देता है। यह इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट विभिन्न प्रकार के सर्किट्स में उपयोग किया जाता है जहाँ विभिन्न प्रकार के सिग्नलों को प्रबंधित करने की आवश्यकता होती है।

डायोड में दो टर्मिनल होते हैं

एनोड (Anode) और कैथोड (Cathode)। एनोड पॉजिटिव और कैथोड नेगेटिव होता है। डायोड के कैथोड की पहचान करने के लिए आमतौर पर एक छोटी सी सिल्वर कलर की लाइन होती है, जबकि ट्रायंगल की नोक एनोड को दर्शाती है।

जब डायोड को “फॉरवर्ड बायस” किया जाता है, तो पॉजिटिव पोल को एनोड पर और नेगेटिव पोल को कैथोड पर कनेक्ट किया जाता है। इससे करंट की धारा होती है और डायोड चालू हो जाता है।

वास्तव में, डायोड में करंट फॉरवर्ड होते हुए एक निर्धारित “फॉरवर्ड रेजिस्टेंस” होता है, जिसे फॉरवर्ड रेजिस्टेंस कहा जाता है। इस रेजिस्टेंस के उपयोग से डायोड को “ऑन” किया जाता है।

जब डायोड को “रिवर्स बायस” किया जाता है, तो पॉजिटिव पोल को कैथोड पर और नेगेटिव पोल को एनोड पर कनेक्ट किया जाता है। इससे कोई करंट नहीं बहता है और डायोड बंद हो जाता है।

इस प्रकार, डायोड किसी भी एक दिशा में ही करंट को बहने देता है और इसे एक सेमीकंडक्टर डिवाइस के रूप में जाना जाता है।

डायोडों के कई प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

Zener Diode (जेनर डायोड):

  • जेनर डायोड को 1934 में Clarence Zener ने आविष्कार किया था।
  • यह विशेष रूप से विद्युत वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • जब इसके पार का वोल्टेज पार किया जाता है, तो यह करंट को विपरीत दिशा में भी बहने देता है।

Constant Current Diodes (निरंतर करंट डायोड):

  • यह डायोड विशेष करंट पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • यह डायोड कनेक्ट ट्रांजिस्टर भी कहलाता है और विद्युत वाले सर्किट्स में उपयोग किया जाता है।

Shockley Diode (शॉकले डायोड):

  • शॉकले डायोड का आविष्कार 1950 में William Shockley ने किया था।
  • यह पहला Pnpn लेयर वाला सेमीकंडक्टर डायोड था।

Light Emitting Diode (LED) (प्रकाश उत्सर्जक डायोड):

  • एलईडी इलेक्ट्रॉनिक ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में बदलता है।
  • यह फॉरवर्ड बायोस की स्थिति पर काम करता है और इंडक्टर लैम्प, ट्रैफिक सिग्नल, और अन्य स्थानों में उपयोग किया जाता है।

Schottky Diode (शॉट्ट्की डायोड):

  • शॉट्ट्की डायोड धातु और सेमीकंडक्टर मटेरियल के जंक्शन पर आधारित होते हैं।
  • इसमें वोल्टेज ड्रॉप कम होता है और यह अधिक करंट बहाने की क्षमता रखता है।

Tunnel Diode (टनल डायोड):

  • टनल डायोड बहुत तेजी से स्विच करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • यह लिएओ ईसाकी द्वारा आविष्कृत किया गया था और इंजेक्शन लेजर डायोड के रूप में भी जाना जाता है।

Varactor Diode (वैरेक्टर डायोड):

  • यह डायोड वैरियेबल कैपेसिटर की तरह काम करता है और उपकरणों में उपयोग किया जाता है जैसे कि सेल फोन और सैटेलाइट।

Laser Diode (लेजर डायोड):

  • लेजर डायोड एक लेजर बीम उत्पन्न करता है और अधिकांश ऑप्टिकल उपकरणों में उपयोग किया जाता है।

डायोड कई प्रकार के सर्किटों में उपयोग किया जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख उपयोगों के बारे में बात की जा रही है:

  • रेक्टिफिकेशन (Rectification): डायोड एसी (AC) वोल्टेज को डीसी (DC) वोल्टेज में परिवर्तित करने में मदद करते हैं। हाफ वेव रेक्टिफायर (HWR), फुल वेव रेक्टिफायर (FWR) और ब्रिज रेक्टिफायर (Bridge Rectifier) जैसे उपकरणों के माध्यम से यह कार्य किया जाता है।
  • क्लिपिंग (Clipping): डायोड का उपयोग किसी पल्स के कुछ हिस्से को कट देने के लिए किया जाता है, बिना वेवफॉर्म के अन्य हिस्सों में किसी प्रकार के बिगड़ते हुए।
  • क्लैम्पिंग (Clamping): यह एक क्लैम्पिंग सर्किट वोल्टेज स्तरों को सीमा में रखता है, जिसके लिए वहाँ एक DC स्तर का स्थानांतरण किया जाता है। यह पीक से पीक को किसी प्रकार के प्रभाव के बिना बनाए रखता है।
  • वोल्टेज रेगुलेटर (Voltage Regulation): डायोड वोल्टेज रेगुलेटर में इस्तेमाल किया जाता है जो विभिन्न विद्युतीय उपकरणों के लिए वोल्टेज को स्थिर रखने में मदद करता है।
  • डीमोडुलेशन (Demodulation): यह डायोड रेडियो सिग्नलों को डिटेक्ट करने और उन्हें ऑडियो सिग्नल में परिवर्तित करने में मदद करता है।
  • सिग्नल मिक्सिंग (Signal Mixing): डायोड का उपयोग सिग्नल मिक्सिंग के सर्किट में किया जाता है जो विभिन्न सिग्नलों को मिलाने में मदद करता है।
  • ओवर-वोल्टेज प्रोटेक्शन (Over-voltage Protection): डायोड ओवर-वोल्टेज की स्थिति में सर्किट को सुरक्षित रखने के लिए उपयोग किया जाता है, जो आमतौर पर विद्युत संयंत्रों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में पाया जाता है।

इसके अलावा, डायोड का उपयोग तापमान मापने, रेडियो के सिग्नलों को डिटेक्ट करने, सर्किट में करंट को मोडलेशन और विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है।

Ideal Diode एक hypothetical electrical component होता है जो कि आदर्श प्रवाहक और आदर्श अवादर्शक के रूप में कार्य करता है। जब यह forward bias में होता है, तो यह कुछ resistance के साथ आसानी से प्रवाहित करता है, जिससे कि फॉरवर्ड करंट फ्लो होता है। जब इसे reverse bias में किया जाता है, तो यह पूरी तरह से अवादर्शक होता है, जिससे कि कोई भी करंट नहीं फ्लो होता है।

आदर्श डायोड का काम एक स्विच की तरह होता है। जब यह forward bias में होता है, तो यह “स्विच खुला” होता है और प्रवाहित करंट को पार करता है, और जब यह reverse bias में होता है, तो यह “स्विच बंद” होता है और कोई करंट नहीं गुजरता है।

Ideal Diode के महत्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  • कम से कम Threshold Voltage: Ideal diode को forward bias में कोई threshold voltage की आवश्यकता नहीं होती है। यह तुरंत ही current conduct करती है जब forward voltage उसके टर्मिनल्स के बीच लागू किया जाता है।
  • असीमित Forward Current: Ideal diode में असीमित forward current होता है। जब forward voltage लागू किया जाता है, तो यह current को प्रवाहित करती है तथा इसमें कोई भी internal resistance नहीं होता है।
  • कोई Breakdown Voltage नहीं: Ideal diode में कोई breakdown voltage नहीं होता है। इसके कारण, reverse voltage के लिए यह कोई current नहीं प्रवाहित करती है।
  • कम Reverse (Leakage) Current: Ideal diode में कोई leakage current नहीं होता है। जब इसे reverse bias में लागू किया जाता है, तो यह कोई current नहीं प्रवाहित करती है, और यह एक ideal insulator की भांति काम करती है।

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