कंप्यूटर के दिल के रूप में: ऑपरेटिंग सिस्टम को कंप्यूटर का दिल कहा जाता है क्योंकि यह कंप्यूटर के सभी मुख्य कार्यों को नियंत्रित करता है। यह कंप्यूटर के सभी हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर के संचालन में मदद करता है।
संवाद का माध्यम: ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर और उपयोगकर्ता के बीच संवाद का माध्यम होता है। यह उपयोगकर्ता के द्वारा कंप्यूटर के साथ संवाद करने की सुविधा प्रदान करता है, जैसे कि माउस, कीबोर्ड, टचस्क्रीन, आदि का उपयोग करके।
सिस्टम सॉफ़्टवेयर के रूप में: ऑपरेटिंग सिस्टम को सिस्टम सॉफ़्टवेयर के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह कंप्यूटर के सार्वभौमिक संचालन को संभालता है। यह सिस्टम में संचालित सभी प्रोग्राम्स और एप्लिकेशन्स को प्रबंधित करता है और हार्डवेयर को प्रबंधित करने के लिए आवश्यक सेवाएं प्रदान करता है।
विभिन्न प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम: विभिन्न उद्देश्यों के लिए, जैसे कि पर्सनल कंप्यूटर, सर्वर, मोबाइल डिवाइस, व्यावसायिक उपयोग के लिए अलग-अलग ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता है।
प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम: कुछ प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टमों में विंडोज, मैकओएस, लिनक्स, और एंड्रॉयड शामिल हैं। इनमें से प्रत्येक का अपना विशेषता और उपयोग होता है।
इस रूप में, ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर के सही संचालन और उपयोगकर्ता अनुकूलता के लिए एक महत्वपूर्ण तंत्र है। यह कंप्यूटर का उपयोग करना सुगम और अनुकूल बनाता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)
एक सॉफ़्टवेयर होता है जो कंप्यूटर या मोबाइल डिवाइस के सभी कार्यों को संचालित करता है। इसका मुख्य उद्देश्य उपयोगकर्ता और अन्य सॉफ़्टवेयर के बीच संचार सुनिश्चित करना है, ताकि सभी संबंधित कार्य कार्यवाही कर सकें और हार्डवेयर के साथ सही रूप से इंटरैक्ट कर सकें।
ऑपरेटिंग सिस्टम की मुख्य फ़ंक्शन कुछ निम्नलिखित होते हैं:
- हार्डवेयर संचालन: ऑपरेटिंग सिस्टम हार्डवेयर को संचालित करने के लिए जवाबदेह होता है। यह सभी हार्डवेयर कंपोनेंट्स जैसे कि प्रोसेसर, मेमोरी, स्टोरेज डिवाइसेस, इनपुट/आउटपुट डिवाइसेस को प्रबंधित करता है।
- प्रोसेस प्रबंधन: यह प्रोसेसेस को संचालित करता है और उन्हें सिस्टम के लिए संसाधित करता है। यह विभिन्न कार्यों को समय सारणी बनाने और प्राथमिकता निर्धारित करने के लिए भी जिम्मेदार होता है।
- मेमोरी प्रबंधन: ऑपरेटिंग सिस्टम मेमोरी का प्रबंधन करता है, जो रैम और स्टोरेज के रूप में हो सकती है। यह सिस्टम के लिए रैम स्पेस का निर्धारण करता है और डेटा को सहेजने और पहुंचने के लिए स्टोरेज स्पेस का उपयोग करता है।
- फ़ाइल सिस्टम प्रबंधन: यह डेटा को संग्रहित करने और उपयोगकर्ता को फ़ाइलें और फ़ोल्डर्स के रूप में प्रबंधित करने के लिए जिम्मेदार होता है।
- उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस: यह उपयोगकर्ताओं को सिस्टम से संबंधित कार्यों का उपयोग करने का तरीका प्रदान करता है। इसमें GUI (ग्राफ़िकल उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस) और CLI (कमांड लाइन इंटरफ़ेस) शामिल हो सकते हैं।
यह सभी फ़ंक्शन साथ मिलकर सिस्टम को इस्तेमाल करने के लिए उपयोगकर्ताओं को एक संरचित और साधारण तरीके से पहुंच प्रदान करते हैं। इसके बिना, उपयोगकर्ता कंप्यूटर का सही तरीके से उपयोग नहीं कर सकते हैं और सॉफ़्टवेयर को हार्डवेयर के साथ संबंधित काम नहीं कर सकते हैं।
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) एक सॉफ़्टवेयर है जो आपको अपने कंप्यूटर का प्रयोग करने में सहायता प्रदान करता है। जब आप नया कंप्यूटर खरीदते हैं, तो सबसे पहले आप उसमें विंडोज़ 10 या विंडोज़ 11 को इंस्टॉल करवाते हैं, जिसे आमतौर पर दुकानदार से कराया जाता है। इसके बाद, आप अपने कंप्यूटर या लैपटॉप को अपने घर ले जाते हैं। बिना ऑपरेटिंग सिस्टम के, आप अपने कंप्यूटर को ऑन करने की कोई संभावना भी नहीं होती।
ऑपरेटिंग सिस्टम को ‘सिस्टम सॉफ़्टवेयर’ कहा जाता है क्योंकि यह कंप्यूटर के हार्डवेयर को इस्तेमाल करने में मदद करता है। यह कंप्यूटर के अंदर इनपुट लेता है, इंस्ट्रक्शन को प्रोसेस करता है, और आउटपुट को स्क्रीन पर दिखाता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग करके आप गेम्स, MS वर्ड, एडोब रीडर, वीएलसी मीडिया प्लेयर, फोटोशॉप, आदि जैसे अनेक सॉफ़्टवेयर का उपयोग कर सकते हैं। इन सॉफ़्टवेयर को चलाने के लिए, आपको ऑपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकता होती है।
मोबाइल उपयोग के लिए भी एक ऑपरेटिंग सिस्टम होता है, जैसे कि Android। ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग कंप्यूटर और मोबाइल डिवाइस में उनके विभिन्न कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए किया जाता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) एक सॉफ़्टवेयर होता है जो कंप्यूटर हार्डवेयर को संचालित करता है और उपयोगकर्ताओं को कंप्यूटर के साथ संवाद करने की सुविधा प्रदान करता है। यह कंप्यूटर के सभी अन्य सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर के बीच एक माध्यम के रूप में काम करता है और उन्हें संगठित तरीके से संचालित करता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य:
- प्रोसेसर (Processor) का प्रबंधन: ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोसेसर को कार्यों के लिए निर्देशित करता है, जैसे कि किस कार्य को कितने समय तक चलाना है और किस प्राथमिकता में चलाना है।
- मेमोरी (Memory) का प्रबंधन: यह उपकरणों को सहेजने और लोड करने के लिए मेमोरी का प्रबंधन करता है।
- फ़ाइल और स्टोरेज का प्रबंधन: यह फ़ाइलों और डेटा को संग्रहित करता है और स्टोरेज उपकरणों के साथ संवाद करता है।
- उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस: ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोगकर्ताओं को कंप्यूटर के साथ इंटरैक्ट करने के लिए एक इंटरफ़ेस प्रदान करता है, जिसमें GUI (ग्राफिकल उपयोगकर्ता इंटरफेस), CLI (कमांड लाइन इंटरफेस) और अन्य तरीके शामिल हो सकते हैं।
- सुरक्षा: ऑपरेटिंग सिस्टम सुरक्षित रहने और अनधिकृत पहुँच से बचने के लिए सुरक्षा के विभिन्न प्रकारों का प्रबंधन करता है।
उदाहरण ऑपरेटिंग सिस्टम:
Windows: माइक्रोसॉफ्ट विंडोज एक प्रसिद्ध डेस्कटॉप ऑपरेटिंग सिस्टम है जो प्राथमिक रूप से पर्सनल कंप्यूटर और लैपटॉप पर उपयोग किया जाता है।
macOS: एप्पल कंप्यूटर्स के लिए डिज़ाइन किया गया ऑपरेटिंग सिस्टम है।
Linux: यह एक ओपन सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के डिवाइस और कंप्यूटरों में किया जा सकता है।
Android: मोबाइल डिवाइसों के लिए विकसित गूगल का ऑपरेटिंग सिस्टम है।
iOS: एप्पल कंपनी के आइफ़ोन, आइपैड और आइपॉड टच के लिए डिज़ाइन किया गया ऑपरेटिंग सिस्टम है।
ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) का महत्व हमारे कंप्यूटर सिस्टम के लिए कितना अधिक है। इसे कंप्यूटर के “ब्रेन” के रूप में भी देखा जाता है, क्योंकि यह हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच आपसी संवाद को नियंत्रित करता है और कंप्यूटर की संचालन व्यवस्था को संचालित करता है।
- Memory Management (स्मृति प्रबंधन): ऑपरेटिंग सिस्टम की सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है स्मृति प्रबंधन। यह सिस्टम के उपलब्ध मेमोरी को विभिन्न प्रकार के प्रोग्रामों और प्रोसेसेस के लिए साझा करने और प्रबंधित करने में मदद करता है। यह उपलब्ध मेमोरी का प्रबंधन करता है, प्रोसेसेस को मेमोरी में कहाँ रखना है और कैसे उपयोग करना है, और कौन सी प्रोसेसेस को प्राथमिक या सेकेंडरी मेमोरी में रखा जाना चाहिए।
- Processor Management (प्रोसेसर प्रबंधन): यह ऑपरेटिंग सिस्टम के अंतर्निहित कार्यों में से एक है जो प्रोसेसर के संसाधनों का उपयोग समय सारणी के आधार पर वितरित करता है। यहाँ प्रोसेसेस को किसी भी निश्चित समय में कितना समय दिया जाना चाहिए और किसी प्रोसेस को प्रोसेसर से कितना समय मिलना चाहिए, यह सभी तय करता है।
- Device Management (डिवाइस प्रबंधन): डिवाइस प्रबंधन ऑपरेटिंग सिस्टम के अन्य एक महत्वपूर्ण कार्य है। यह सिस्टम के डिवाइसों को संचालित करता है, जैसे की प्रिंटर, माउस, कीबोर्ड, USB ड्राइव, और अन्य इनपुट/आउटपुट डिवाइसेज़। यह उपकरणों को संचालित, प्रबंधित, और आवंटित करता है, ताकि प्रोसेसेस इन उपकरणों का उपयोग कर सकें।
- File Management (फाइल प्रबंधन): यह कार्य सिस्टम में फाइलों को संगठित करने, प्रबंधित करने और उन्हें व्यवस्थित करने के लिए होता है। यह सभी फाइलों के लिए मेटा डेटा का प्रबंधन करता है, जिसमें फ़ाइल का नाम, विशेषताएँ, और स्थान शामिल होता है।
सुरक्षा: सुरक्षा ऑपरेटिंग सिस्टम की अहम कार्यों में से एक है। यह उपयोगकर्ताओं द्वारा अनधिकृत एक्सेस से सिस्टम को सुरक्षित रखता है और अनधिकृत प्रवेश से रोकता है। यह पासवर्ड और अन्य प्रमाणिकरण पद्धतियों का प्रबंधन करता है।
सिस्टम प्रदर्शन: ऑपरेटिंग सिस्टम सिस्टम के प्रदर्शन को मॉनिटर करता है और उसे सुधारने की कोशिश करता है। यह निरीक्षण करता है कि कितना समय एक सेवा देने में लगता है और कितना समय सिस्टम को प्रदर्शन के मानकों के अनुसार सुधारने में लगता है।
त्रुटि संशोधन: यह कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम के अंतर्निहित हिस्सों को निगरानी करता है और त्रुटियों को खोजकर सही करता है। यह सिस्टम को स्थिर और निष्पक्ष बनाने में मदद करता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम के ये विभिन्न कार्य हैं जो सिस्टम को व्यापक रूप से संचालित करते हैं और उसे उपयोगकर्ताओं के लिए सुविधाजनक बनाए रखते हैं। इसके बिना, कंप्यूटर सिस्टम का सही तरीके से काम करना मुश्किल हो सकता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकारों की समझ को बढ़ाते हैं:
1. बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Batch Processing Operating System):
ये सिस्टम जॉब या टास्क को बैच में प्रोसेस करते हैं, जिसमें कई टास्क एक साथ इकठ्ठा किए जाते हैं और प्रोसेस किए जाते हैं।
पहले ये सिस्टम मेनफ्रेम कंप्यूटर में प्रचलित थे, जहां बड़े डेटा बैच को प्रोसेस करने के लिए उपयोग होता था।
2. नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम (Network Operating System):
ये सिस्टम नेटवर्क डिवाइस पर चलते हैं, जैसे कि राउटर, स्विच, और फायरवॉल।
इनका मुख्य काम नेटवर्क के ऊपर संचार और प्रबंधन करना है।
3. वितरित ऑपरेटिंग सिस्टम (Distributed Operating System):
ये सिस्टम मल्टीपल कंप्यूटर या नोड्स पर चलते हैं, जो एक सिंगल नेटवर्क से कनेक्ट किए जाते हैं।
इन सिस्टम्स का मुख्य उद्देश्य रिसोर्सेज और प्रोसेसिंग पावर को कुशलता से मैनेज करना होता है।
4. टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Time Sharing Operating System):
ये सिस्टम मल्टीपल यूजर्स को एक साथ कंप्यूटर रिसोर्सेज का एक्सेस प्रदान करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।
इनमें सीपीयू टाइम और मेमोरी रिसोर्सेज यूजर्स के बीच में बाँटे जाते हैं।
5. रियल-टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम (Real-Time Operating System):
ये सिस्टम्स एम्बेडेड सिस्टम्स और इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन में इस्तेमाल होते हैं, जहां रिस्पांस टाइम बहुत क्रिटिकल होता है।
इनमें टाइम की संवेदनशीलता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
6. एम्बेडेड ऑपरेटिंग सिस्टम (Embedded Operating System):
ये सिस्टम एम्बेडेड डिवाइस जैसे कि टीवी, वॉशिंग मशीन, और डिजिटल कैमरे में इस्तेमाल होते हैं।
इन सिस्टम्स रिसोर्स-कंस्ट्रेन्ड डिवाइसेस के लिए ऑप्टिमाइज्ड होते हैं।
7. मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम (Mobile Operating System):
ये सिस्टम एम्बेडेड डिवाइस जैसे कि स्मार्टफोन और टैबलेट में इस्तेमाल होते हैं।
इन सिस्टम्स तरह-तरह के हार्डवेयर के साथ संगत होते हैं और मोबाइल डिवाइस के लिए तैयार किए जाते हैं।
8. डेस्कटॉप ऑपरेटिंग सिस्टम (Desktop Operating System):
ये सिस्टम पर्सनल कंप्यूटर, लैपटॉप, और वर्कस्टेशन पर चलते हैं।
इन सिस्टम्स के माध्यम से उपयोगकर्ता अपने कंप्यूटर पर कार्य करते हैं।
9. सर्वर ऑपरेटिंग सिस्टम (Server Operating System):
ये सिस्टम सर्वर पर चलते हैं, जो नेटवर्क वाले कंप्यूटर के लिए डेटा स्टोरेज, मैनेजमेंट, और रिसोर्स शेयरिंग प्रदान करते हैं।
इन सिस्टम्स का उद्देश्य नेटवर्क की सेवाओं को प्रदान करना होता है।
मेनफ्रेम ऑपरेटिंग सिस्टम (Mainframe Operating System):
ये सिस्टम मेनफ्रेम कंप्यूटर पर चलते हैं, जो बड़े पैमाने पर डेटा प्रोसेसिंग और रिसोर्स मैनेजमेंट के लिए इस्तेमाल करते हैं।
इनमें बड़े और उच्च-प्रोफाइल कार्यों का समर्थन होता है, जैसे कि बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों की तरह।
ये प्रकार विभिन्न प्रकार के उपयोगकर्ताओं और उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किए गए हैं, ताकि प्रत्येक प्रकार के सिस्टम उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं को पूरा कर सके।
बिना किसी ऑपरेटिंग सिस्टम के, कंप्यूटर या डिवाइस एक निष्क्रिय मशीन होता। एक ऑपरेटिंग सिस्टम का काम यह होता है कि यह हार्डवेयर को संचालित करता है और उपयोगकर्ता को सामान्य कंप्यूटिंग कार्यों को करने में सहायता प्रदान करता है। यह उपयोगकर्ताओं को अन्य सॉफ़्टवेयर, जैसे एप्लीकेशन, चलाने में सहायक होता है, जैसे कि वर्ड प्रोसेसिंग, डेटाबेस प्रबंधन, वेब ब्राउज़िंग, और बहुत कुछ।
एक ऑपरेटिंग सिस्टम के दो प्रमुख भाग होते हैं: कर्नेल और उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस। कर्नेल यह फ़ंक्शन निष्पादित करता है जो हार्डवेयर को संचालित करता है, जैसे कि मेमोरी प्रबंधन, प्रोसेसर प्रबंधन, इनपुट/आउटपुट प्रबंधन, और सुरक्षा। उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस उपयोगकर्ता के साथ संवाद करता है और उन्हें ऑपरेटिंग सिस्टम की सेवाओं का उपयोग करने की सुविधा प्रदान करता है, जैसे कि ग्राफिकल उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस (GUI) या कमांड लाइन इंटरफ़ेस (CLI)।
विभिन्न ऑपरेटिंग सिस्टमों के अलग-अलग विशेषताएँ, उपयोगकर्ता अनुभव, और उपयोग क्षमताओं होती हैं। उदाहरण के लिए, Windows ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए अधिक ग्राफिकल इंटरफेस और अनेक गेमिंग अनुप्रयोग होते हैं, जबकि लिनक्स पर ज़्यादा प्रोग्रामिंग और नेटवर्किंग काम करने के लिए जाना जाता है।
इस तरह, एक ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के आधार और नींव होता है, जो उपयोगकर्ताओं को उनके कंप्यूटर कार्यों को सरल बनाने में मदद करता है।