भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष स्वायत्तता प्रदान करता था। इस अनुच्छेद के तहत जम्मू और कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग माना जाता था, लेकिन इस राज्य को अन्य भारतीय राज्यों की तुलना में विशेष अधिकार और स्वायत्तता प्राप्त थी। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं:
- विशेष दर्जा: अनुच्छेद 370 के तहत, जम्मू और कश्मीर को अपना संविधान बनाने का अधिकार था और भारतीय संसद की अधिकांश कानूनें इस राज्य पर लागू नहीं होती थीं, जब तक कि राज्य सरकार सहमत न हो।
- अलग संविधान: जम्मू और कश्मीर का अपना एक अलग संविधान था, जो 26 जनवरी 1957 को लागू हुआ।
- स्वायत्तता: राज्य सरकार को विभिन्न मामलों में स्वतंत्रता थी, विशेष रूप से उन मामलों में जो रक्षा, विदेश नीति, और संचार के अलावा थे।
- नागरिकता कानून: अनुच्छेद 370 के तहत, राज्य की सरकार के पास अपने नागरिकता कानून निर्धारित करने का अधिकार था और भारत के अन्य राज्यों के नागरिक जम्मू और कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे।
- असमंजस की स्थिति: अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को मिले विशेष दर्जे की स्थिति हमेशा विवादित रही और इसके कारण भारतीय राज्य के अन्य हिस्सों और जम्मू और कश्मीर के बीच संबंधों में असमंजस बना रहा।
5 अगस्त 2019 को, भारत की संसद ने अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने का निर्णय लिया। इसके परिणामस्वरूप, जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हो गया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख – में विभाजित कर दिया गया।
अनुच्छेद 370 क्यों लाया गया?
अनुच्छेद 370 का निर्माण और इसे भारतीय संविधान में शामिल करने के पीछे कई ऐतिहासिक और राजनीतिक कारण थे। ये मुख्यतः निम्नलिखित हैं:
- 1947 का भारत-पाक विभाजन: जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ, जम्मू और कश्मीर राज्य एक स्वतंत्र रियासत था। राज्य के महाराजा, हरि सिंह, ने भारत या पाकिस्तान में से किसी के साथ जुड़ने का फैसला नहीं किया था।
- कबाइली हमला और भारतीय सैन्य सहायता: 1947 में पाकिस्तान से समर्थित कबाइलियों ने जम्मू और कश्मीर पर आक्रमण किया। इस स्थिति से निपटने के लिए महाराजा हरि सिंह ने भारत से सहायता मांगी और इस प्रक्रिया में उन्होंने जम्मू और कश्मीर को भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार किया। इसके तहत, भारतीय सेना ने राज्य की रक्षा की और कबाइलियों को पीछे हटाया।
- विशेष परिस्थिति: जम्मू और कश्मीर की विशिष्ट भौगोलिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, विशेष प्रावधानों की आवश्यकता महसूस की गई। राज्य की मुस्लिम बहुसंख्यक जनसंख्या और वहां की राजनीतिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए इसे विशेष स्वायत्तता दी गई ताकि राज्य की विशिष्ट पहचान और स्वायत्तता बनी रहे।
- संविधान सभा की भूमिका: जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा ने भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 को शामिल करने का समर्थन किया। इस अनुच्छेद के तहत, राज्य को विशेष स्वायत्तता प्रदान की गई और राज्य की विधायिका को महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए।
- सहमति की आवश्यकता: अनुच्छेद 370 के तहत यह प्रावधान था कि भारतीय संसद के अधिकांश कानून राज्य पर लागू नहीं होंगे जब तक कि राज्य की सरकार उनकी सहमति न दे। इस प्रावधान ने राज्य की स्वायत्तता को सुनिश्चित किया।
इन सभी कारणों के परिणामस्वरूप, अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान में शामिल किया गया। इसका उद्देश्य था जम्मू और कश्मीर राज्य को भारत का हिस्सा बनाए रखते हुए उसकी विशिष्ट पहचान और स्वायत्तता की रक्षा करना।
अनुच्छेद 370 कैसे हटाया गया?
अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने की प्रक्रिया 5 अगस्त 2019 को भारतीय सरकार द्वारा शुरू की गई थी। यह प्रक्रिया कई चरणों में पूरी की गई। यहाँ इस प्रक्रिया के प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:
- राष्ट्रपति का आदेश: सबसे पहले, भारतीय राष्ट्रपति ने संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) आदेश, 2019 जारी किया। इस आदेश ने संविधान के अनुच्छेद 367 में संशोधन किया, जो अनुच्छेद 370 के कार्यान्वयन की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
- संशोधन: इस नए आदेश के तहत, राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 370 की धारा 1 के साथ “संविधान सभा” की जगह “विधानसभा” शब्द का उपयोग किया। चूंकि उस समय जम्मू और कश्मीर में विधानसभा भंग हो चुकी थी और वहां राष्ट्रपति शासन लागू था, इसलिए राष्ट्रपति शासन के तहत संसद को विधानसभा के कार्य करने की शक्ति मिल गई।
- संसद में प्रस्ताव: भारतीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें अनुच्छेद 370 की अधिकांश धाराओं को निष्क्रिय करने और जम्मू और कश्मीर राज्य के पुनर्गठन की बात की गई थी। इस प्रस्ताव में राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख – में विभाजित करने का प्रस्ताव था।
- संसद की मंजूरी: इस प्रस्ताव को राज्यसभा और लोकसभा दोनों में बहुमत से पारित किया गया। राज्यसभा ने 5 अगस्त 2019 को और लोकसभा ने 6 अगस्त 2019 को इस प्रस्ताव को मंजूरी दी।
- राष्ट्रपति का दूसरा आदेश: संसद की मंजूरी के बाद, राष्ट्रपति ने दूसरा आदेश जारी किया, जिसने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को प्रदान की गई विशेष स्वायत्तता को पूरी तरह से समाप्त कर दिया।
- केंद्र शासित प्रदेशों का निर्माण: जम्मू और कश्मीर राज्य को पुनर्गठित करके दो नए केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए – जम्मू और कश्मीर (जिसमें विधानसभा है) और लद्दाख (जिसमें विधानसभा नहीं है)। यह पुनर्गठन 31 अक्टूबर 2019 से प्रभावी हुआ।
इस प्रकार, संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय किया गया और जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया।
कश्मीर में 370 हटाने के क्या फायदे हैं?
अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने और जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के पीछे विभिन्न लाभ और सकारात्मक प्रभाव बताए गए हैं। यहाँ कुछ प्रमुख फायदों का उल्लेख किया गया है:
- राष्ट्रीय एकीकरण: अनुच्छेद 370 को हटाने से जम्मू और कश्मीर का भारतीय संघ के साथ पूर्ण एकीकरण हुआ। इसके परिणामस्वरूप राज्य के सभी नागरिक भारतीय संविधान के अधीन समान अधिकार और कर्तव्यों का पालन करेंगे।
- विकास और निवेश: अनुच्छेद 370 के हटने के बाद, बाहरी निवेशकों को जम्मू और कश्मीर में जमीन खरीदने और व्यापार करने की अनुमति मिल गई। इससे क्षेत्र में आर्थिक विकास, औद्योगिकीकरण और रोजगार के नए अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
- कानून और शासन: अब जम्मू और कश्मीर पर भारतीय संसद के सभी कानून लागू होते हैं। इससे राज्य में कानून और व्यवस्था में सुधार होने और विभिन्न सामाजिक एवं आर्थिक सुधार कार्यक्रमों के बेहतर कार्यान्वयन की संभावना है।
- शैक्षिक और सामाजिक सुधार: अब जम्मू और कश्मीर में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 35A के प्रावधान समाप्त हो गए हैं। इससे राज्य के लोगों को भारत के अन्य हिस्सों में समान शैक्षिक और सामाजिक अवसर प्राप्त होंगे।
- महिला अधिकारों में सुधार: अनुच्छेद 370 के हटने के बाद, जम्मू और कश्मीर की महिलाओं को भी अब समान अधिकार मिलेंगे, जैसे कि संपत्ति के अधिकार। पहले, अगर किसी महिला ने राज्य के बाहर के व्यक्ति से शादी की होती, तो उसे अपनी संपत्ति के अधिकार से वंचित कर दिया जाता था।
- दलित और अनुसूचित जातियों के अधिकार: अब भारतीय संविधान के तहत दलितों और अनुसूचित जातियों को मिलने वाले आरक्षण और अन्य अधिकार जम्मू और कश्मीर में भी लागू होंगे, जिससे इन वर्गों के सामाजिक और आर्थिक हालात में सुधार होगा।
- आतंकवाद और सुरक्षा: सरकार का मानना है कि अनुच्छेद 370 हटाने से आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों पर नियंत्रण करने में मदद मिलेगी। इसका उद्देश्य क्षेत्र में शांति और स्थिरता स्थापित करना है।
- संरचना और प्रशासन: राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख – में विभाजित करने से प्रशासनिक सुधार और विकास कार्यों के बेहतर कार्यान्वयन की संभावना बढ़ी है।
हालांकि, यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अनुच्छेद 370 को हटाने के प्रभावों पर अलग-अलग विचार हो सकते हैं और इस कदम के दीर्घकालिक प्रभावों का पूरा मूल्यांकन समय के साथ ही संभव होगा।
कश्मीर में धारा 370 किसने हटाई?
धारा 370 को निष्क्रिय करने का फैसला भारतीय संसद ने किया। 5 अगस्त 2019 को भारतीय संसद ने जम्मू और कश्मीर के संबंध में अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी और इसे समर्थन दिया। इसके बाद, भारतीय राष्ट्रपति ने इस प्रस्ताव को समर्थन दिया और अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने के आदेश जारी किए। इस प्रकार, धारा 370 को हटाने का निर्णय भारतीय संसद और राष्ट्रपति के सहमति से लिया गया।
क्या अनुच्छेद 370 की कहानी सच है?
अनुच्छेद 370 की कहानी वास्तविक है। यह भारतीय संविधान में जम्मू और कश्मीर के लिए एक विशेष दर्जा प्रदान करने वाला महत्वपूर्ण प्रावधान था। इस अनुच्छेद के तहत, जम्मू और कश्मीर को अपने स्वतंत्रता की एक सीमित रक्षा प्रदान की गई थी और राज्य को विशेष स्वायत्तता और संघ के अन्य राज्यों से भिन्नता दी गई थी।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने का निर्णय 2019 में लिया गया और इसे समर्थन दिया गया। इसके बाद, भारतीय संसद ने जम्मू और कश्मीर के संबंध में अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने का प्रस्ताव मंजूर किया। इस प्रक्रिया के बाद, भारतीय राष्ट्रपति ने भी इस प्रस्ताव को समर्थन दिया और अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने के आदेश जारी किए।
इस प्रकार, अनुच्छेद 370 की कहानी एक वास्तविक घटना है और इसका निर्माण और निष्क्रिय करने का निर्णय भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार किया गया।