कैपेसिटर (Capacitor) एक ऊर्जा संचयक यंत्र होता है जिसका प्रमुख काम ऊर्जा को संचित करना होता है। ये इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग किया जाता है ताकि वे इलेक्ट्रिकल ऊर्जा को नियंत्रित कर सकें।
कैपेसिटर दो पर्लिन्द्रिकल या वर्तुलाकार चार्ज कोटियों के बीच एक विस्तारित क्षेत्र में ऊर्जा संचित करता है। यह ऊर्जा के आदान-प्रदान में मदद करता है और विद्युत चार्जों को संभालता है। इसके लिए यह क्षमता (या कैपेसिटेंसी) कहलाता है, जो फैराड (Farad) में मापी जाती है।
एक कैपेसिटर को इस्तेमाल करते समय, जब वह बिजली को बंद किया जाता है, तो यह बड़ी राहत प्रदान करता है क्योंकि यह ऊर्जा को संचित करता है और इसे बाहर निकलते समय देता है। इससे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को संचालित करने के लिए एक स्थिर और सार्वजनिक ऊर्जा स्रोत मिलता है।
कैपेसिटर अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे बैटरी, फिल्म, और इलेक्ट्रोलिटिक कैपेसिटर आदि। इनमें से प्रत्येक की विशेषताएँ और उपयोग अलग-अलग होते हैं।
ये थे कैपेसिटर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां। कृपया अगर और जानकारी चाहिए तो पूछ सकते हैं।
कैपेसिटर (Capacitor) एक प्रकार का पैसिव इलेक्ट्रिकल कॉम्पोनेंट होता है जो विद्युत ऊर्जा को संग्रहित करता है। इसे पहले कंडेंसर (Condenser) के नाम से भी जाना जाता था। कैपेसिटर इलेक्ट्रिकल कंडक्टर्स से बना होता है और इन्सुलेटर के द्वारा अलग होता है। यह इंसुलेटिंग लेयर को डाइइलेक्ट्रिक कहा जाता है। वैसे तो सभी कैपेसिटर में एक ही बेसिक सिद्धांत का इस्तेमाल होता है, लेकिन सामग्री का चयन और कॉन्फ़िगरेशन एक दूसरे से अलग होती है। ये इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स सर्किट्स में बहुत ही आम तत्व होते हैं। उदाहरण के लिए, इनका उपयोग एसी करंट को अनुमति देने के लिए किया जाता है और डीसी करंट को ब्लॉक करने के लिए, साथ ही कुछ स्थानों पर इन्हें एक स्मूथ पावर सप्लाई आउटपुट के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
कैपेसिटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक परियोजनाओं में उपयोग किया जाता है। यह उपकरण energy को धारण करने की क्षमता रखता है और इसे बड़े प्रमाण में अवशोषित या उत्सर्जित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
कैपेसिटर का कार्य:-
कैपेसिटर का मुख्य कार्य होता है energy को इलेक्ट्रोस्टैटिक फील्ड में धारण करना। यह फील्ड conductors के बीच पैदा होता है जब किसी potential difference के कारण बीजगणित तरंग उत्पन्न होती है। जब किसी conductor के बीच voltage लागू किया जाता है, तो कैपेसिटर की एक प्लेट पर सकारात्मक चार्ज इकट्ठा होता है, जबकि दूसरी प्लेट पर ऋणात्मक चार्ज इकट्ठा होता है। यह इलेक्ट्रिकल चार्ज की स्थिति को बदलकर energy को संचित करता है।
कैपेसिटर की मात्रा
कैपेसिटर की मात्रा को capacitance कहा जाता है, और यह farads में मापा जाता है। यह किसी capacitor की क्षमता को निर्दिष्ट करता है कि वह कितनी energy को संचित कर सकती है।
कैपेसिटर का उपयोग
कैपेसिटर का उपयोग करते समय, कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखनी चाहिए। उदाहरण के लिए, बड़े conductors और lead wires, पैरासिटिक इंडक्टेंस और रेसिस्टेंस पैदा करते हैं, जो कैपेसिटर की प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, static इलेक्ट्रिक फील्ड की एक सीमा होती है, जो breakdown voltage के रूप में जानी जाती है, और एक dielectric के माध्यम से current leak हो सकता है, जिसे leakage current कहा जाता है।
अधिकांश capacitor वास्तविक दुनिया में ideal conditions में नहीं होते हैं, लेकिन वे विभिन्न प्रकार की applications में उपयोग किए जाते हैं जैसे कि संदर्भानुसार।
बिजली विज्ञान में, ‘कैपेसिटर’ एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है जो विभिन्न प्रकार की ऊर्जा को संचित करने की क्षमता रखता है। यह दो पर्लेल प्लेट्स या कंडक्टर्स के बीच एक अलाईड या विद्युतक्षेत्र डालकर निर्मित होता है। कैपेसिटर की प्रमुख विशेषता यह है कि यह केवल अल्फा बाद की बजाय डिस्चार्ज करने के लिए उपयोग किया जा सकता है, यानी यह ऊर्जा को विभाजित करने की क्षमता रखता है लेकिन नहीं उत्पन्न करता है।
कैपेसिटर के प्रकार
कैपेसिटर के कई प्रकार होते हैं जो विभिन्न उपयोगों के लिए बनाए जाते हैं। उनमें से कुछ प्रमुख प्रकारों का विवरण निम्नलिखित है:
- सेरामिक कैपेसिटर: ये कैपेसिटर लघु फार्मेट में होते हैं और विभिन्न अनुप्रयोगों में प्रयोग होते हैं। इनकी एक मुख्य विशेषता यह है कि ये सस्ते और विश्वसनीय होते हैं।
- इलेक्ट्रोलिटिक कैपेसिटर: ये अक्सर धारणीय होते हैं और बड़ी क्षमता वाले होते हैं। इनका प्रयोग लो फ्रीक्वेंसी उपयोगों में ज्यादा होता है।
- तांबे का कैपेसिटर: ये भी अक्सर पॉलराइज्ड होते हैं और बड़े क्षमता स्तर प्रदान करते हैं।
- सिल्वर माइका कैपेसिटर: ये RF एप्लीकेशन्स में उपयोग होते हैं और स्थिरता, कम खोना, और सटीकता प्रदान करते हैं।
- पॉलिस्टाइरीन फिल्म कैपेसिटर: ये सस्ते होते हैं और निकटता के उपयोग के लिए उपयुक्त होते हैं।
- ग्लास कैपेसिटर: ये बहुत उच्च स्तर की प्रदर्शन करते हैं और RF उपयोगों के लिए उत्तम होते हैं।
- सुपरकैपेसिटर: ये बहुत बड़े क्षमता के होते हैं और मेमोरी धारित सप्लाई और ऑटोमोटिव एप्लीकेशन्स में उपयोग होते हैं।
इन कैपेसिटर के प्रकारों में विभिन्न विशेषताएँ होती हैं और इन्हें विभिन्न उपयोगों के लिए चयनित किया जाता है। आपका उपयोग और आवश्यकताओं के आधार पर आपको कैपेसिटर का चयन करना चाहिए।
Capacitance एक electrical component की property है जो की दो conductive surfaces के बीच में आदर्श electrical energy को store करने की क्षमता को मापती है। यह उपाधि फिर किसी प्रकार की voltage की रूप में discharge हो सकता है। Capacitance का SI unit फ़ैरडे (Farad) है।
जैसे कि आपने सही रूप से कहा है, capacitance को बढ़ाने के तीन मुख्य तरीके होते हैं:
- Surface Area (पृष्ठ क्षेत्र): Capacitor की प्लेटों का पृष्ठ क्षेत्र बढ़ाने से capacitance बढ़ता है। यदि प्लेटों का पृष्ठ क्षेत्र बढ़ाया जाता है, तो इससे उनमें अधिक charge रखा जा सकता है, जिससे capacitance बढ़ता है।
- Distance (दूरी): Capacitor की प्लेटों के बीच की दूरी को कम करने से capacitance बढ़ता है। जब प्लेटों के बीच की दूरी कम होती है, तो इलेक्ट्रॉन्स को एक प्लेट से दूसरे प्लेट तक ले जाने में कम समय लगता है, जिससे उनमें अधिक charge रखा जा सकता है।
- Dielectric Material (डाईइलेक्ट्रिक सामग्री): Capacitor की प्लेटों के बीच में डाईइलेक्ट्रिक सामग्री का प्रयोग करने से capacitance बढ़ता है। जब एक dielectric material प्लेटों को अलग रखता है, तो यह इलेक्ट्रिक फ़ील्ड को केवल प्लेटों के बीच ही सीमित करता है, जिससे capacitance बढ़ता है। डाईइलेक्ट्रिक की परमिटिविटी (permittivity) की अधिकता, उसकी capacitance को भी बढ़ाती है।
इन तीनों तरीकों का संयोजन करके, हम capacitance को बढ़ा सकते हैं और इस तरह capacitor की कार्यक्षमता को अधिक कर सकते हैं।
Capacitance को measure करने के लिए विभिन्न तरीके होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख तरीके निम्नलिखित हैं:
Capacitance Meter: यह एक उपकरण है जो Capacitance को मापने में मदद करता है। यह योग्यता को धारण करने के लिए एक परिसंख्यानिक तरीके से कैपेसिटर पर वॉल्टेज लागू करता है और फिर स्थिति की गणना करता है।
ब्रिज नेटवर्क्स: ये एक प्रकार के आवर्त ब्रिज होते हैं जो कैपेसिटर के परीक्षण में प्रयुक्त होते हैं। Wheatstone या Maxwell Bridge के रूप में इन्हें जाना जाता है।
Oscilloscope and Function Generator: यह एक अन्य तरीका है जिसमें Function Generator द्वारा एक ड्राइव सिग्नल उत्पन्न किया जाता है जो Capacitor को चार्ज और डिस्चार्ज करता है। Oscilloscope उत्पन्न सिग्नल को मापता है और Capacitance को निर्धारित करता है।
Time Constant Measurement: इस तकनीक में, एक आवेग या सिग्नल को कैपेसिटर के माध्यम से पारित किया जाता है और फिर समय अवधि को मापा जाता है जिससे Capacitance का पता चलता है।
Resonance Method: इस तकनीक में, कैपेसिटर को एक अनुप्राणित सरल विद्युत चालक में शामिल किया जाता है और उसकी गति को मापा जाता है।
इन तकनीकों का उपयोग करके Capacitance को अनुमानित रूप से मापा जा सकता है। फिर यह मापे गए मान को Microfarads (μF), Nanofarads (nF), या Picofarads (pF) में प्रकट किया जा सकता है, जैसा कि आपने वर्णित किया है।
कैपेसिटर का काम क्या होता है?
कैपेसिटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो विद्युत ऊर्जा को संचित करने और रिलीज़ करने में मदद करता है। यह विद्युत विपरीतता को संभालने में भी मदद करता है, जैसे कि वोल्टेज स्पाइक्स या रिपल्स को कम करना।
यहाँ कुछ मुख्य कामों की एक संक्षिप्त सूची है:
ऊर्जा संचित करना: कैपेसिटर ऊर्जा को चार्ज करने के लिए इस्तेमाल होता है और उसे आवश्यकता के समय पर रिलीज़ करता है, जैसे कि कैमरे के फ्लैश में।
रिपल्स को कम करना: यह उपकरण विपरीतता को रोकने और विद्युत धाराओं को स्थिर करने में मदद करता है, जिससे डीसी स्रोतों में निरंतरता बनी रहती है।
विद्युत धाराओं को ब्लॉक करना: कैपेसिटर डीसी विद्युत धाराओं को ब्लॉक कर सकते हैं, जिससे डीसी ऊर्जा का प्रवाह रोका जा सकता है।
इस तरह, कैपेसिटर विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग होता है और विद्युतीय संरचनाओं को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।